प्रकाशन

"हासिये की आवाज"
अप्रैल 2015
भारतीय सामाजिक संस्थान
नई दिल्ली
विशेष ;
मेरे चित्रों की एक पहचान है जिनमें भारतीय स्त्री मौजूद रहती है उसके मनोभाव, सदियों की त्रासद पीड़ा और उसका कमजोर पड़ता स्ततित्व, व्यवस्था के प्रति आक्रोश और सवर्णीय पीड़ा से युक्त व्यक्तित्व, दलित और पिछड़ेपन की सीमा के सामजिक विद्रूप होते स्वरुप जरूर दिखेंगे ! जिसमें उसका सहस, कौशल, पीड़ा के साथ भारतीयता के लक्षण जरूर होंगे !
अगले माह बाबा साहब का जन्मदिन (14 अप्रैल) है उस अवसर पर "हासिये की आवाज" के लिए सैयद पवेज़ ने मेरा साक्षत्कार भी लिया है, इस पत्रिका का कवर भी  इन्होने मुझसे आग्रह पूर्वक यह तैयार कराया है आपके लिए संलग्न है जिसमें वह साक्षात्कार भी संलग्न कर रहा हूँ ;






प्रकाशन
चित्र;
सखी - मई 2 0 1 3
विरानगी वचपन की - राजिंदर कौर

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